हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति उसके जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है — विवाह, करियर, संतान सुख, स्वास्थ्य और मानसिक शांति। यदि ग्रहों का संतुलन बिगड़ा हुआ हो, तो कुंडली दोष (Kundli Dosh) उत्पन्न होते हैं, जो जीवन में अड़चनें, बाधाएं और असफलताएं ला सकते हैं।
जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो यह दोष बनता है। इससे व्यक्ति के जीवन में बार-बार असफलता, भय और बाधाएं आती हैं।
मंगल ग्रह अगर 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित हो, तो यह दोष उत्पन्न होता है। इससे वैवाहिक जीवन में देरी, तनाव या अलगाव की संभावनाएं रहती हैं।
पूर्वजों के अधूरे कर्म या श्राद्ध न करने से यह दोष उत्पन्न होता है। इसके कारण आर्थिक कष्ट, संतान से संबंधित समस्याएं या मानसिक बेचैनी हो सकती है।
कुंडली मिलान में नाड़ी मेल नहीं होने पर वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इस दोष का समाधान विवाह से पूर्व ज़रूरी है।
कुंडली गुरु, भोपाल में हम आपकी जन्मपत्रिका का विस्तार से विश्लेषण कर यह तय करते हैं कि कौन-कौन से दोष हैं और उनके लिए कौन सा उपाय सबसे उपयुक्त रहेगा। हम निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करते हैं:
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निष्कर्ष:
अगर आपकी कुंडली में कोई दोष है और आप समाधान की तलाश में हैं, तो कुंडली गुरु से संपर्क करें और अपने जीवन को सही दिशा दें।